"गुरु गोविंद दोनों खड़े किसको लागू पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।"
आज की 21वीं सदी में एक सच्चे गुरु की प्राप्ति होना सौभाग्य की बात है।
आज गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मैं उन सभी व्यक्ति विशेष का आभारी रहूंगा।
मैंने जीवन में कई सारे लोगों से प्रत्यक्ष या परोक्ष किसी न किसी प्रकार से ज्ञान की प्राप्ति की है।
मैं आज जो कुछ भी हूं और जहां भी हूं वहां उस मुकाम तक पहुंचाने में मेरे जीवन में मेरे आदरणीय माता-पिता एवं भाई-बहन, पाठशाला में ज्ञान की प्राप्ति कराने वाले वंदनीय शिक्षकों, मेरे जीवन से जुड़े हुए परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों , सदाबहार गुरुओं के गुरु मानना पड़ेगा ऐसे दिलो जान हर हमेश हंसना सिखाने वाले अंगत मित्रों,( इसमें facebook वाले मित्रों की गिनती नहीं होती... यारों ),
मैं जिसे विद्यार्थियों से ज्यादा अपना दोस्त मानता हूं जीसके पासे कई नई नई बातें सीखने को मिलती रहती है,
जहां से मुझे ज्ञान की प्राप्ति हुई है वह सारे अच्छे पुस्तकों सामयीको एवं न्यूज़पेपर्स,(आजकल तो सोशीयल मीडिया भी ऐक स्मार्ट गुरु से कम नही है) प्रत्यक्ष या परोक्ष जिसे ज्ञान प्राप्त होता ही रहता है ऐसी हमारी हमसफर जीवनसंगिनी,( वैसे सभी लोगों की तरह हम भी गुरु मानते ही नहीं है ..... पर यह पक्का है कि किसी न किसी तरह से श्रीमती जी से ज्ञान तो प्राप्त होता ही होगा।)
इन सभी के बाद उम्र में सबसे छोटे लेकिन जिसे मास्टर ब्लास्टर मानना ही पड़ेगा ऐसा हमारा सन ओफ पाटीदार आर्य को गुरू मानना ही पड़ेगा( डैडी आपको नहीं आता मैं सिखाता हूं ....मैं)
आखरी में मे अपने आप काभी आभारी हूँ ,सबसे सच्चा ज्ञान हमें अपने आपसे ही प्राप्त होता है,
हम सब ने SULTAN फिल्म में सुना होगा कि "एक सुल्तान को एक सुल्तान ही हरा सकता है" इसी तरह जब हमें कहीं गुरु ना मिले तब हम अपने आप खुद को ही गुरु मान के ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हैं, तू ही तेरा गुरु था।
इन सभी का गुरु की तरह किसी ना किसी तरह ज्ञान देने के लिए हर हंमेशा
आभारी रहूंगा।
नलिन वाछाणी
गांधीनगर